उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षक भर्ती में नियुक्ति की मांग को लेकर अभ्यर्थियों का धरना राजधानी लखनऊ के इको गार्डन में जारी है. इस दौरान धरना स्थल पर मौजूद अभ्यर्थियों ने होली के अवसर पर शुक्रवार (14 मार्च) को उपवास रखा.
धरना स्थल पर मौजूद अभ्यर्थियों का कहना है कि 69000 शिक्षक भर्ती मामले में प्रदेश की सरकार शुरू से ही हीलाहवाली करती रही है. इसी वजह से यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया और वहां भी सरकार अपना पक्ष रखने से दूर भागती है. सुप्रीम कोर्ट से सिर्फ तारीख पर तारीख मिलता है.
अभ्यर्थियों का कहना है कि अब तक एक दर्जन से अधिक तारीखों पर सुनवाई नहीं हो सकी है. अब अगली सुनवाई 18 मार्च को होनी है. हम सबकी मांग है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता को भेज कर इस मामले को जल्द से जल्द निस्तारित कराए. इसलिए हम सभी ने आज अन्न का एक दाना नहीं खाया अपनी मांग को लेकर उपवास रखा है.
आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल ने कहा कि होली समरसता का पर्व है, लेकिन उत्तर प्रदेश में दलित बैकवर्ड समाज के नौजवानों को इस पर्व पर भी सामाजिक न्याय के लिए अन्न त्याग देने जैसी प्रक्रिया को अपनाना पड़ा यह बहुत ही दुर्भाग्य पूर्ण है
अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि सरकार की हठधर्मिता और निर्दयता 69000 शिक्षक भर्ती में शामिल आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को होली के पर्व पर भूखों रहने के लिए मजबूर कर दिया. हमारी मांग है कि अभ्यर्थियों के आंदोलन का सरकार संज्ञान ले और सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता भेजकर मामले निस्तारित कराये और हमें हमारा हक अधिकार दे.
इको गार्डन धरना स्थल पर रवि शंकर पटेल, धनंजय गुप्ता, अमित मौर्य, आनंद यादव, उमाकांत मौर्य, धर्मवीर प्रजापति, श्रीकांत मौर्य समेत अन्य अभ्यर्थी शामिल रहे. अभ्यर्थियों की निगाहें 18 मार्च को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं.
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