श्री दुर्गादास उइके जी (केंद्रीय राज्य मंत्री जनजातीय मामले, भारत सरकार द्वारा लिखित आलेख).

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श्री दुर्गादास उइके जी (केंद्रीय राज्य मंत्री जनजातीय मामले, भारत सरकार द्वारा लिखित आलेख).

Monday, June 23, 2025 | Monday, June 23, 2025 Last Updated 2025-06-23T12:45:05Z
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श्री दुर्गादास उइके जी (केंद्रीय राज्य मंत्री जनजातीय मामले, भारत सरकार द्वारा लिखित आलेख)
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बलिदान दिवस - डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी,
डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के लिए राष्ट्र सर्वोपरि था इसलिए उन्होंने सत्ता का त्याग करके देश की एकता और अखंडता के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।
वह "एक देश में दो विधान दो प्रधान और दो निशान" के विरुद्ध थे, इसलिए डॉक्टर मुखर्जी ने स्वतंत्र भारत का पहला राष्ट्रवादी आंदोलन खड़ा किया था।
भारत के पुनर्निर्माण के उद्देश्य से डॉक्टर मुखर्जी ने जनसंघ की स्थापना की थी आज यदि हम जम्मू कश्मीर में बिना परमिट के जा सकते हैं और पश्चिम बंगाल भारत का अभिन्न अंग है तो इसके पीछे डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान है।

राष्ट्रीय एकता अखंडता के पर्याय, महान शिक्षाविद, प्रखर राष्ट्रवादी, चिंतक, विचारक और भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के बलिदान दिवस पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।
डॉ साहब ने कहा था - राष्ट्रीय एकता की धरातल पर ही सुनहरे भविष्य के नींव रखी जा सकती है।
राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले भारतीय जन संघ के तत्कालीन अध्यक्ष एवं महान राष्ट्र नायक एवं राष्ट्रवादी राजनीति के पुरोधा पूज्य डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर शत-शत नमन वंदन करते हैं आपको हम सभी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के रूप में देश को एक ऐसा दूरदर्शी नेता मिला जिसने भारत की समस्याओं के मूल कारणों वह स्थाई समाधानों पर जोर दिया और उनके लिए जीवन पर्यंत संघर्ष किया सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर केंद्रित जनसंघ और आज की भारतीय जनता पार्टी डॉक्टर मुखर्जी की ही दूरदर्शिता परिणाम है।

डॉ मुखर्जी ने शिक्षा और औद्योगिक क्षेत्र में सुधार के लिए भी बहुत अभिनव कार्य किए।
वे शिक्षा की गुणवत्ता और शोध कार्यों के भी बहुत बड़े पक्षधर थे। 
कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बनाए रखने एवं देश के एकता और अखंडता के लिए उनका त्याग समर्पण और बलिदान हम देशवासियों को सदैव प्रेरित करता रहेगा। 
मानवता के उपासक,प्रखर राष्ट्रवादी विचारक, महान शिक्षाविद,जनसंघ संस्थापक व हमारे पथ प्रदर्शक परम श्रद्धेय डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कहा था हम उन्नति करेंगे हम एक होंगे हम एक ऐसे देश में रहेंगे जिसका भाग्य केवल हमारे बच्चों के हाथ में होगा जहां एक स्वतंत्र और हिंदुस्तान का झंडा हमेशा शांति,प्रगति और आजादी की प्रतिष्ठा की घोषणा करेगा।

डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी ने एक बार कहा था जो भी कार्य आरंभ करें उसे गंभीरता से पूर्ण करें और तब तक संतुष्ट न हो जब तक अपना सर्वश्रेष्ठ ना दे दे।
"जहां हुए बलिदान मुखर्जी वह कश्मीर हमारा है" यह नारा जो सच हुआ आज कश्मीर शांत और अखंड भारत का हिस्सा है धारा 370 अब कड़वा अतीत बन गई है और 35 से पूरी तरह से खत्म हो चुकी है।
हमारे पथ प्रदर्शक डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी ने कहा था वही राष्ट्र वास्तव में महान है जिसके पास सैनिक शक्ति और ताकत है, किंतु वह राष्ट्र स्वार्थ हेतु उनका दुरुपयोग नहीं करता है।
मित्रों उस काल में जम्मू कश्मीर की समस्या को पहचानने तथा इसके समूल निस्तारण के लिए पुरजोर आवाज उठाने वाले पूज्य डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ही थे।
1947 के बाद सत्ता में आई कांग्रेस के द्वारा देश पर थोपी जा रही अभारतीयता तथा आयातित पश्चिमी विचारधाराओं का तार्किक विरोध कर भारत,भारतीय तथा भारतीयता के शाश्वत विचारों के अनुरूप राजनीतिक विकास देश को देने वाले डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ही हमारे अग्रदूत, हमारे पथ प्रदर्शक थे। आज की भारतीय जनता पार्टी का परिदृश्य,स्वरूप,आधारशिला, आधार स्तंभ,प्रकाश पुंज डॉ मुखर्जी ही है।
उन्होंने 1951 में भारतीय जन संघ की स्थापना की जो बाद में 1980 को भारतीय जनता पार्टी का आधार बना, उन्होंने पंडित जवाहरलाल नेहरू सरकार में उद्योग एवं आपूर्ति मंत्री के रूप में कार्य किया किंतु कांग्रेस की गलत नीतियों तुष्टीकरण से लेकर भारतीय संस्कृति के शाश्वत मूल्य के विरुद्ध कार्य करने वाली राष्ट्रीय विरोधी कांग्रेस से त्यागपत्र दे दिया था एवं संसद में एक मजबूत विपक्ष के रूप में कार्य किया तथा सरकार की गलत नीतियों पर सवाल उठाने तथा संसद में जनता की आवाज बनकर भारत का प्रतिनिधित्व एक सांसद के रूप में किया।

अखिल भारतीय हिंदू महासभा के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया, सांप्रदायिक सद्भाव और सामाजिक न्याय के लिए काम किया, बंगाल के विभाजन के बाद उन्होंने शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए काम किया और उनके अधिकारों के रक्षा के लिए आवाज उठाई।

डॉ मुखर्जी जी का जीवन वृत्त,
6 जुलाई 1901 को कोलकाता के अत्यंत प्रतिष्ठित परिवार में डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी का जन्म हुआ, उनके पिता सर आशुतोष मुखर्जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वे देश के प्रख्यात शिक्षाविद के रूप में प्रसिद्ध थे, डॉ मुखर्जी ने 1917 में मैट्रिक पास किया तथा 1921 में बीए की उपाधि प्राप्त की, 1923 में लॉ की उपाधि अर्जित की तथा वे विदेश चले गए और 1926 में इंग्लैंड से बैरिस्टर बन कर स्वदेश लौटे।
अपने यशस्वी पिता का अनुसरण करते हुए उन्होंने भी अल्पायु में ही विद्या अध्ययन के क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलताएं अर्जित कर ली थी। 33 वर्ष की अल्पायु में ही वह कोलकाता विश्वविद्यालय के कुलपति बने इस पद पर नियुक्ति पाने वाले वह सबसे कम उम्र के व्यक्ति थे। एक विचारक, चिंतक, शिक्षाविद,प्रख्यात वक्ता के रूप में उनकी ख्याति निरंतर देश में बढ़ती चली गई।

राजनैतिक जीवन,
आदमी भाइयों बहनों डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने स्वेच्छा से राष्ट्रीय अलग जगाने के उद्देश्य से राजनीति में प्रवेश किया डॉ मुख़र्जी सच्चे अर्थों में मानवता के उपासक और सिद्धांत वादी थे उन्होंने बहुत से गैर कांग्रेसी हिंदुओं की मदद से कृषक प्रजापति से मिलकर प्रगतिशील गठबंधन का निर्माण किया इस सरकार में वह वित्त मंत्री बने।
इसी समय में सावरकर जी के राष्ट्रवाद के प्रति आकर्षित हुए और हिंदू महासभा में सम्मिलित हुए। 
मुस्लिम लीग की राजनीति से बंगाल का वातावरण दूषित हो रहा था। वहां सांप्रदायिक विभाजन की नौबत आ रही थी। सांप्रदायिक लोगों को ब्रिटिश सरकार प्रोत्साहित कर रही थी। ऐसी विषम परिस्थितियों में उन्होंने संकल्प लिया कि बंगाल के हिंदुओं की उपेक्षा ना हो,

जनसंघ की स्थापना,
उसे समय डॉक्टर मुखर्जी ने बंगाल और पंजाब के विभाजन की मांग उठाकर प्रस्तावित पाकिस्तान का विभाजन कराया और आधा बंगाल और आधा पंजाब खंडित भारत के लिए बचा लिया, गांधी जी और सरदार पटेल के अनुरोध पर वह भारत के पहले मंत्रिमंडल में शामिल हुए उन्हें उद्योग जैसे महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई। संविधान सभा और प्रांतीय संसद के सदस्य और केंद्रीय मंत्री के नाते उन्होंने शीघ्र ही अपना विशिष्ट स्थान बना लिया किंतु उनके राष्ट्रवादी चिंतन के चलते अन्य नेताओं से मध्य बराबर बने रहे, फ्लैट राष्ट्रीय हितों की प्रतिबद्धता को अपने सर्वोच्च प्राथमिकता मानने के कारण उन्होंने मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे दिया उन्होंने एक नई पार्टी बनाई जो उसे समय विरोधी पक्ष के रूप में सबसे बड़ा दल था अक्टूबर 1951 में भारतीय जनसंघ का उद्भव हुआ।
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अपनी विशिष्ट रणनीति से उन्होंने बंगाल के विभाजन में मुस्लिम लीग के प्रयासों को पूरी तरह से नाकाम कर दिया था।
1942 में ब्रिटिश सरकार ने विभिन्न राजनीतिक दलों के छोटे-बड़े सभी नेताओं को जेलों में डाल दिया था।
डॉक्टर मुखर्जी इस धारणा के प्रबल समर्थक थे की सांस्कृतिक दृष्टि से हम सब एक है इसलिए धर्म के आधार पर वे विभाजन के कट्टर विरोधी थे वे मानते थे की आधारभूत सत्य यह है कि हम सब एक है हमें कोई अंतर नहीं है हम एक ही रक्त के हैं एक ही भाषा एक ही संस्कृति और एक ही हमारी विरासत है। 
किंतु उसे वक्त का जो कांग्रेसी नेतृत्व था उसकी वजह से 1946 में मुस्लिम लीग ने जंग की राह पकड़ ली और राष्ट्र का विभाजन हुआ। 
ब्रिटिश सरकार की भारत विभाजन की गुप्त योजना और षड्यंत्र को कांग्रेस के नेताओं ने अखंड भारत संबंधी अपने वादों को तात्पर रखकर स्वीकार कर लिया था और भारत का विभाजन हुआ। 
डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की विभाजन के प्रखर विरोधी थे। वे तुष्टिकरण के प्रखर विरोधी थे, दो निशान दो विधान दो प्रधान के विरोधी थे।
वह राष्ट्र प्रथम का नारा देते हुए जम्मू कश्मीर भारत का अविभाज्य अंग है इसके प्रबल समर्थक थे,
राष्ट्र की एकता अखंडता और सामाजिक समरसता के प्रबल समर्थक थे।
नेहरू की सरकार से असंतुष्ट होकर उद्योग मंत्री से त्यागपत्र दिया और उन्होंने 1951 में जनसंघ की स्थापना की।
30 वर्षों के बाद 1980 में भारतीय जनता पार्टी का उदय हुआ अंत्योदय एवं राष्ट्र की एकता अखंडता को सुदृढ़ करने की दिशा में हम सब आगे बढ़े हैं। 
2014 से अधिकतम 2025 का विकसित भारत का चित्र आपके सामने है।