हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा डॉ. भीमराव अंबेडकर पर की गई टिप्पणी ने राजनीतिक हलकों में व्यापक विवाद उत्पन्न किया है। शाह ने अपने बयान में कहा था कि "बाबा साहब अंबेडकर जी की विचारधारा में विश्वास रखने वाले लोग हैं," जिसे विपक्षी दलों ने अंबेडकर के प्रति अपमानजनक और असंवेदनशील बताया है।
इस टिप्पणी के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने 24 दिसंबर को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि "बाबा साहब अंबेडकर का अनादर दिलों को ठेस पहुंचाता है," और गृह मंत्री को अपने बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए।
कांग्रेस पार्टी ने भी इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाया है। राजस्थान के अलवर में कांग्रेस नेताओं ने अमित शाह के बयान के खिलाफ प्रदर्शन किया और सार्वजनिक माफी की मांग की। उन्होंने कहा कि "बाबा साहब अंबेडकर एक व्यक्ति नहीं बल्कि विचारधारा हैं," और गृह मंत्री को उनके बयान पर माफी मांगनी चाहिए।
इसके अतिरिक्त, झारखंड के जामताड़ा में पूर्व मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने अमित शाह की टिप्पणी को लोकतंत्र के लिए गलत बताया है। उन्होंने कहा कि "एक जिम्मेदार पद पर रहते हुए गृह मंत्री का इस तरह का बयान देना लोकतंत्र के लिए सही नहीं है।"
सार्वजनिक मंचों पर भी इस मुद्दे पर बहस जारी है। कई सामाजिक संगठनों और दलित समुदाय के नेताओं ने अमित शाह की टिप्पणी की निंदा की है और इसे अंबेडकर की विरासत का अपमान बताया है। उनका कहना है कि ऐसे बयान समाज में विभाजन और असंतोष को बढ़ावा देते हैं।
इस विवाद के बीच, भाजपा की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, पार्टी के कुछ नेताओं ने अनौपचारिक रूप से कहा है कि अमित शाह के बयान को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया जा रहा है और उनका उद्देश्य अंबेडकर का अपमान करना नहीं था।
विश्लेषकों का मानना है कि इस विवाद का आगामी चुनावों पर प्रभाव पड़ सकता है, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां दलित समुदाय की महत्वपूर्ण उपस्थिति है। वे कहते हैं कि भाजपा को इस मुद्दे पर स्पष्ट रुख अपनाना होगा ताकि दलित समुदाय के बीच उत्पन्न असंतोष को कम किया जा सके।
कुल मिलाकर, गृह मंत्री अमित शाह की डॉ. अंबेडकर पर की गई टिप्पणी ने राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्रों में तीव्र प्रतिक्रियाएं उत्पन्न की हैं। विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने इस बयान की निंदा करते हुए माफी की मांग की है, जबकि भाजपा ने अभी तक इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। आगामी दिनों में इस मुद्दे पर और अधिक बहस और विरोध प्रदर्शन होने की संभावना है।
डॉ. भीमराव अंबेडकर पर गृह मंत्री अमित शाह द्वारा की गई टिप्पणी पर विपक्षी दलों ने कड़ी आपत्ति जताई है और इसे अंबेडकर की विचारधारा का अपमान बताया है। इस विवाद पर विभिन्न विपक्षी दलों ने अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं.
कांग्रेस पार्टी
कांग्रेस ने अमित शाह की टिप्पणी की निंदा करते हुए इसे बाबा साहब अंबेडकर के योगदान और उनके सिद्धांतों का अपमान बताया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि "अंबेडकर केवल संविधान निर्माता नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और समानता के प्रतीक थे।" उन्होंने गृह मंत्री से सार्वजनिक माफी की मांग की और कहा कि इस तरह की टिप्पणियां समाज में विभाजन पैदा करती हैं। राजस्थान के अलवर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने इस मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन किया और कहा कि भाजपा अंबेडकर की विरासत को कमजोर करने का प्रयास कर रही है।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा)
बसपा प्रमुख मायावती ने अमित शाह के बयान को दलित समाज का अपमान बताया। उन्होंने 24 दिसंबर को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया। मायावती ने कहा, "बाबा साहब अंबेडकर के खिलाफ ऐसी टिप्पणियां न केवल दलित समाज, बल्कि पूरे देश को आहत करती हैं।" उन्होंने भाजपा पर अंबेडकर के विचारों को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाया और गृह मंत्री से माफी मांगने की मांग की।
राष्ट्रीय जनता दल (राजद)
राजद नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि "अमित शाह का बयान भाजपा के दलित विरोधी एजेंडे को उजागर करता है।" उन्होंने कहा कि भाजपा सिर्फ चुनावी लाभ के लिए अंबेडकर का नाम लेती है, लेकिन उनके विचारों और सिद्धांतों को लागू करने में विफल रहती है। तेजस्वी यादव ने इस बयान को दलित समाज के प्रति असंवेदनशील करार दिया।
समाजवादी पार्टी (सपा)
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अमित शाह के बयान की आलोचना करते हुए इसे "अंबेडकर की विचारधारा पर हमला" बताया। उन्होंने कहा कि भाजपा का उद्देश्य केवल सत्ता प्राप्त करना है और यह दलित समाज के उत्थान के लिए ईमानदार नहीं है। अखिलेश ने कहा कि अंबेडकर के विचार आज भी प्रासंगिक हैं और उन्हें इस तरह की टिप्पणियों से कमजोर नहीं किया जा सकता।
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी)
टीएमसी की नेता महुआ मोइत्रा ने अमित शाह के बयान को शर्मनाक बताया और कहा कि यह भाजपा की वैचारिक रणनीति का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि अंबेडकर ने समतावादी समाज के निर्माण के लिए जो प्रयास किए थे, भाजपा उन्हें कमजोर करने की कोशिश कर रही है।
कम्युनिस्ट पार्टियां
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) ने भी गृह मंत्री की टिप्पणी की निंदा की। सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि "अंबेडकर ने समानता और बंधुत्व का जो सपना देखा था, भाजपा उसकी दिशा में काम करने के बजाय उसे तोड़ने का प्रयास कर रही है।"
निष्कर्ष
विपक्षी दलों ने एक स्वर में अमित शाह की टिप्पणी को अंबेडकर और दलित समाज का अपमान बताया है। उन्होंने इसे भाजपा की दलित-विरोधी नीति का प्रमाण करार दिया और गृह मंत्री से माफी की मांग की है। दलों का मानना है कि अंबेडकर की विचारधारा देश में समतावादी समाज के निर्माण की नींव है और इस पर किसी भी प्रकार का अपमानजनक बयान अस्वीकार्य है।
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