पहलगाम आतंकी हमले पर हिंदू-मुस्लिम राजनीति: एक खतरनाक प्रवृत्ति l

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पहलगाम आतंकी हमले पर हिंदू-मुस्लिम राजनीति: एक खतरनाक प्रवृत्ति l

Tuesday, April 29, 2025 | Tuesday, April 29, 2025 Last Updated 2025-04-29T14:24:36Z
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पहलगाम आतंकी हमले पर हिंदू-मुस्लिम राजनीति: एक खतरनाक प्रवृत्ति

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ आतंकी हमला पूरे देश को झकझोर गया। 27 निर्दोष पर्यटकों की हत्या ने न केवल कश्मीर की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े किए, बल्कि देश की आत्मा को भी आहत किया। इस हमले ने हमें एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर किया कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता।

दुर्भाग्यवश, इस घटना के बाद कुछ राजनीतिक और सामाजिक समूहों ने इसे हिंदू-मुस्लिम चश्मे से देखना शुरू कर दिया। सोशल मीडिया पर विभाजनकारी टिप्पणियाँ, सांप्रदायिक आरोप-प्रत्यारोप और धर्म के आधार पर दोषारोपण की कोशिशें इस राष्ट्रीय त्रासदी को सस्ती राजनीति का मंच बना रहीं हैं। यह न केवल शहीदों का अपमान है, बल्कि आतंकियों को अप्रत्यक्ष रूप से फायदा पहुंचाने जैसा भी है।

आतंकवाद का मुकाबला केवल सैन्य शक्ति से नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और विवेकपूर्ण राजनीति से होता है। जब हम आतंकी हमलों को सांप्रदायिक चश्मे से देखते हैं, तो हम देश को अंदर से कमजोर करते हैं। आतंकवादी यही तो चाहते हैं — समाज में डर, घृणा और भ्रम फैलाना।


इसलिए यह आवश्यक है कि हम ऐसी घटनाओं पर प्रतिक्रिया देते समय धर्म के नाम पर नहीं, इंसानियत और राष्ट्रीय एकता के आधार पर सोचें। पीड़ितों की पहचान 'हिंदू' या 'मुस्लिम' नहीं, बल्कि 'भारतीय नागरिक' के रूप में होनी चाहिए।

मीडिया, राजनीतिक दलों और आम नागरिकों की जिम्मेदारी है कि वे इस तरह की विभाजनकारी राजनीति का विरोध करें और एक स्वर में आतंकवाद के खिलाफ खड़े हों। क्योंकि जब देश एकजुट होता है, तभी आतंक का जवाब दिया जा सकता है।