रामसेतु के नाम पर प्यूमिस पत्थरों की पूजा: आस्था बनाम विज्ञान का टकराव

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रामसेतु के नाम पर प्यूमिस पत्थरों की पूजा: आस्था बनाम विज्ञान का टकराव

Monday, July 21, 2025 | Monday, July 21, 2025 Last Updated 2025-07-21T06:30:07Z
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रामसेतु के नाम पर प्यूमिस पत्थरों की पूजा: आस्था बनाम विज्ञान का टकराव”* 

 *गाज़ीपुर, उत्तर प्रदेश —* 
हाल के दिनों में गाज़ीपुर सहित पूर्वांचल के कई इलाकों में कुछ तैरते पत्थरों को "रामसेतु से जुड़ा चमत्कारी पत्थर" बताया जा रहा है। स्थानीय लोगों ने इन पत्थरों की पूजा-अर्चना शुरू कर दी है, मानो यह सीधे त्रेता युग से लौटे कोई दिव्य अवशेष हों। लेकिन वैज्ञानिकों का दावा कुछ और ही है।

असल में यह पत्थर प्यूमिस (Pumice) नाम की ज्वालामुखीय चट्टान का हिस्सा हैं। इन पत्थरों में असंख्य छोटे-छोटे छिद्र होते हैं, जिनमें गैस फंसी होती है। यही वजह है कि ये पत्थर पानी में तैरते हैं। किसी भी वस्तु का पानी में तैरना या डूबना उसके घनत्व पर निर्भर करता है — और प्यूमिस पत्थर का घनत्व पानी से कम होता है, इसलिए वह तैरता है।

विज्ञान की अनदेखी, अंधश्रद्धा की बढ़त

गाज़ीपुर में कुछ दुकानदारों और "धार्मिक प्रचारकों" ने इन पत्थरों को *‘रामसेतु का प्रमाण’* बताकर बेचना शुरू कर दिया है। कई मंदिरों में इन पत्थरों की विशेष पूजा हो रही है और लोग इन्हें घरों में ले जाकर चमत्कार की उम्मीद पाल रहे हैं।

स्थानीय भौतिकी शिक्षक अजय सिंह कहते हैं:

> *“यह पूरी तरह से वैज्ञानिक प्रक्रिया है। प्यूमिस पत्थर भारत में दुर्लभ नहीं हैं। लेकिन जब वैज्ञानिक तथ्यों को दरकिनार कर चमत्कार बना दिया जाता है, तो अंधविश्वास को बढ़ावा मिलता है।”



 *प्रशासन की चुप्पी* 

इस पूरे मामले में जिला प्रशासन की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। प्रशासन न तो इस विषय में कोई चेतावनी जारी कर रहा है, न ही अंधश्रद्धा को रोकने के लिए कोई ठोस पहल।

 *निष्कर्ष* 

आस्था और विज्ञान के बीच संतुलन ज़रूरी है, लेकिन जब वैज्ञानिक तथ्यों की अनदेखी करके आमजन को भ्रमित किया जाए, तो यह सिर्फ भोले-भाले लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ ही नहीं, समाज को पीछे ले जाने का भी काम करता है।

क्या गाज़ीपुर प्रशासन और समाज इस ओर सचेत होगा, या यह चुप्पी भविष्य की किसी बड़ी समस्या को जन्म देगी?
यह सवाल अब हर जागरूक नागरिक को खुद से पूछना होगा।

News Nation Express